Description
कुम्हार की सोच, इंसान को क्यों अभिमान करना चाहिए मैं मिट्टी से बना हूँ और मिट्टी में ही मिल जाना है
मिट्टी को तो बिना लात मारे हमारा कुछ भी काम नहीं होता,
आपको तो मां भी कहता हूं जब तक आपके ऊपर खड़े हो ना जाऊ तब तक कुछ नहीं कर सकता
हमेशा आपसे आज्ञा लेता हूं कि धरती की माटी से मैं अनेकों प्रकार की मूर्तियां बनाऊंगा
जिसे आप भी बानी आकार से एक छोटा सा मटका बनाओ तो मारे गए लोगो का पूजा में काम आए
और दिया बनाओ तो भगवान के सामने दीपक जलाने का काम आएगा और
उसी मिट्टी से अनेक प्रकार की भगवान की मूर्ति बनाऊं तो आपकी पूजा भी होगी मुझे आज्ञा दो मां मुझे इस दुनिया में कुम्हार के नाम से जानेंगे
कहकर कुम्हार मिट्टी के बारे में सोचता है
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